
औरंगाबाद। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना के 41वें महाधिवेशन में औरंगाबाद जिले के दो साहित्यकारों, वरिष्ठ पत्रकार सह अधिवक्ता प्रेमेंद्र मिश्र एवं औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी को हिंदी भाषा एवं साहित्य की उन्नति में मूल्यवान सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ वरिष्ठ चिंतक वेद प्रकाश वैदिक, केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के अध्यक्ष एवं उद्भट विद्वान सूर्य प्रसाद दीक्षित एवं दक्षिण भारतीय हिंदी प्रचार समिति के कुलपति प्रोफेसर राम मोहन पाठक के हाथों सम्मान पाकर उक्त दोनों साहित्यकार गौरवान्वित हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां प्रेमेंन्द्र मिश्र ने अनवरत 25 वर्षों तक हिंदुस्तान दैनिक के पत्रकार सह व्यूरो प्रमुख रूप में सेवा दी तो दूसरी ओर धनंजय जयपुरी ने लगभग बीस वर्षों से लगातार साहित्य सेवा में संलग्न है।
औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन से निकलने वाली पुस्तक ‘शब्द के चितेरे’ के तीनों भागों एवं मंदाकिनी पत्रिका के प्रकाशन में इन्होंने बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता निभाई है। ज्ञात हो कि श्री मिश्र ने अबतक 4 पुस्तकें क्रमश: ‘कबीर की राह और कबीर के लोग’,’पंचायती राज : सपने और हकीकत’, ‘सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज : अतीत से वर्तमान तक’ एवं ‘मिस्टीरियस हिल्स उमगा’ का प्रणयन किया है।
वही धनंजय जयपुरी ने भी अपनी 3 पुस्तको-‘सतबहिनी चालीसा’, ‘गीता द्रुतविलंबित’ एवं ‘कहानी अपनी-अपनी’ के माध्यम से साहित्य का संवर्धन किया है। इन दोनों साहित्यकारों की उपलब्धियों से औरंगाबाद की साहित्यिक जगत में खुशी का माहौल है।