
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थियों का एडमिट कार्ड को 25 अप्रैल से डाउनलोड के लिए उपलब्ध करा दिया है। आयोग द्वारा आयोजन किये जा रहे 67वें प्रिलिम्स परीक्षा के एडमिट कार्ड को आधिकारिक वेबसाइट, bpsc.bih.nic.in से डाउनलोड किया जा सकता है।
उम्मीदवार अपने यूजरनेम और पासवर्ड की मदद से लॉग इन कर अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं। 67 वीं बीपीएससी की परीक्षा (67th BPSC Exam) 8 मई 2022 को 12:00 बजे से 2:00 बजे तक राज्य के अलग-अलग सेंटर पर आयोजित की जाएगी।
बता दें कि 67वीं बीपीएससी परीक्षा (67th BPSC Exam) की भर्ती के अनुसार कुल 726 पदों को भरा जाएगा। इन पदों में बिहार एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, बिहार पुलिस सर्विस, रेवेन्यू सर्विस और बिहार एजुकेशन सर्विस जैसे पद शामिल हैं। लगभग 6 लाख उम्मीदवारों ने बीपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है जिसमें महिला उम्मीदवारों की संख्या अधिक है। बीपीएससी के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 30 सितंबर 2021 से शुरू हुई थी। 67वीं प्रीलिम्स परीक्षा पहले जनवरी में प्रस्तावित थी जिसे स्थगित कर 8 मई कर दिया गया था।
सिर्फ 2 घंटे की परीक्षा के लिए छात्रों को करना पड़ सकता है 2 दिन तक की यात्रा
छात्रों की मांग के बावजूद इस वर्ष फिर से BPSC ने रैंडम आर्डर में परीक्षा केंद्र आवंटित किया है। उत्तर बिहार के बच्चों का सुदूर दक्षिण बिहार के जिलों में और दक्षिण बिहार के बच्चों का सुदूर उत्तर बिहार के जिलों में परीक्षा केंद्र बनाया गया है। BPSC के इस कदम से भीषण गर्मी और बढ़ते कोरोना के बीच मात्र 2 घंटे की परीक्षा के लिए बच्चों को 400 से 500 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ेगी।
हमने इस सिलसिले में कई अभ्यर्थियों से भी बात की। सभी लोग होम सेंटर (गृह जिला के आसपास के जिलों में) के पक्ष में वकालत करते नज़र आये। मिसाल के तौर पर औरंग़ाबाद के एक बच्चे को मोतिहारी जिले में परीक्षा केंद्र आवंटित किया गया है जहां जाने के लिए कोई सीधी यातायात की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जब हमने अन्य छात्रों से बात की तो किसी ने अपना सेंटर मुजफ्फरपुर, तो किसी ने दरभंगा तो किसी ने समस्तीपुर आदि बताया।
यदि सरकार चाहे तो मात्र एक ऑर्डर से सॉल्व हो सकता है 6 लाख बच्चों की समस्या
गृह जिला से दूर सेंटर होने के कारण पूरे बिहार में लगभग 6 लाख छात्र यात्रा करने को विवश होंगे। इससे गरीब छात्रों के धन का अपव्यय तो होगा ही साथ साथ उन्हें परीक्षा से पहले मानसिक कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ेगा।
मात्र सॉफ्टवेयर में थोड़ा बदलाव करके छात्रों का रोल नंबर गृह जिला के नजदीक दिया जा सकता है। एमा टाइम्स सरकार से अनुरोध करती है कि इन 6 लाख छात्रों के समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करे।