
औरंगाबाद। असम की राजधानी गुवाहाटी में आयोजित लोक मंथन 2022 में मगध का प्रतिनिधित्व करेंगे विकास मिश्र। यह आयोजन लोक कला, लोक साहित्य तथा लोक परम्परा पर आधारित महामंथन का है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठन संस्कार भारती, प्रज्ञा प्रवाह, विज्ञान भारती, साहित्य परिषद, इतिहास संकलन समिति व वनवासी कल्याण आश्रम के प्रयासों से 22 से 24 सितम्बर राष्ट्रीय विमर्श ‘लोक मंथन’ 2022 का आयोजन हो रहा है।
इस तीन दिवसीय आयोजन में 1000 से अधिक लोगों की मौजूदगी रहेगी। कार्यक्रम का उद्घाटन देश के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी, असम के माननीय राज्यपाल श्री पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य जी और असम के माननीय मुख्यमंत्री श्री डॉ हिमंत बिश्व शर्मा जी करेंगे।इस महामंथन का मुख्य उद्देश्य है लोक कला और लोक परम्परा के जरिए देश को एकता के सूत्र में बांधना जिसे अब तक गुलामी की मानसिकता के कारण नकारा जाता रहा है, जबकि लोक कलाओं और लोक परंपराओं से ही देश बनता है।
इसमें देश के धार्मिक स्थलों पर पंडों के पास रखे गए वंशावली पर विस्तृत चर्चा होगी। इसी तरह धार्मिक यात्राओं के योगदान, खेती व खानपान में लोक परंपरा व विभिन्न राज्यों में शादियों में समानता पर भी चर्चा होगी।विकास मिश्र ने बताया कि मगध का भी सांस्कृतिक विरासत गौरवशाली रहा है। मगध की लोक परंपरा में अपनत्व का भाव है। यहां की परंपरा जग हित की बात करती है। मगध की संस्कृति को अनदेखी कर देश की संस्कृति को नहीं समझा जा सकता है।
मगध का भौगोलिक इतिहास भी बहुत वृहत रहा है। औरंगाबाद संस्कार भारती के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि विकास मिश्र दक्षिण बिहार प्रांत के कार्यकारणी सदस्य हैं, ये हमारे लिए गौरव की बात है और इससे भी गौरव की बात ये है कि राष्ट्रीय विमर्श में अपने जिले की उपस्थिति मगध के प्रतिनिधित्व के रूप में भी है।संस्था के सचिव चंदन गोकुल ने शुभकामनाएं दी और कहा कि मगध की संस्कृति को राष्ट्रीय फलक पर उजागर करने का बेहतर मौका मिला है।
संस्कार भारती दक्षिण बिहार के उपाध्यक्ष, मगध विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष, हिंदी विभाग के वरीय शिक्षक, मगही विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो भरत सिंह ने फोन पर शुभकामनाएं दी और कहा कि ये हमारे लिए गौरव की बात है। विकास मगध विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का शोधार्थी के साथ संस्कार भारती दक्षिण बिहार प्रांत का कार्यकारणी सदस्य भी है। संगठन के माध्यम से लोक कला, लोक परंपरा पर कार्य कर रहा है।
लोक संस्कृति के बिना देश के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। शहर के जाने माने कवि व वरीय शिक्षक डॉ हेरम्ब मिश्र ने कहा कि हम अपनी लोक परम्परा से आंख चुराते हैं जिससे की हमारी पहचान है। बड़ी खुशी की बात है कि हमारी संस्कृति को राष्ट्रीय फलक पर पहचान मिल रही है।
संस्था के सह सचिव मृत्युंजय, गायन और मीडिया प्रभारी अमन राज, कार्यालय प्रमुख अभिषेक, हर्षित, शशि, अमन पंडित, प्रेरणा सिन्हा, नेहा कुमारी, पवन, गोविंद, कोषाध्यक्ष मेघनाथ आजाद के साथ अन्य ने शुभकामनाएं दीं और विदा किया।