औरंगाबाद

नाइट ब्लड सर्वे के दौरान लिये गये 4548 रक्त नमूने,रक्त में फाइलेरिया परजीवी की मौजूदगी की होगी जांच

नाइट ब्लड सर्वे में सदर और गोह की उपलब्धि अव्वल, सर्वे के लक्ष्य पाने में कुटुंबा प्रखंड पिछड़ा, महज 57

औरंगाबाद। जिला में फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रारंभ किया गया नाइट ब्लड सर्वे का कार्य समाप्त हो गया है. नाइट ब्लड सर्वे जिला के सभी ग्यारह प्रखंडों में किया गया. सभी प्रखंडों में प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के तहत आने वाले क्षेत्रों में दो सेशन साइट बनाये गये थे. प्रत्येक सेशन साइट से 300 ब्लड सैंपल लिये जाने का निर्देश दिया गया था.

सर्वे में चार हजार से अधिक लिये ब्लड सैंपल

नाइट ब्लड सर्वे कार्य में अब तक चार हजार 548 ब्लड सैंपल लिये गये हैं. इनमें औरंगाबाद सदर और गोह प्रखंड शीर्ष पर है जहां दो सेशन साइट से लक्ष्य के मुताबिक 600 रक्त के नमूने लिये गये. वहीं बारुण में 563, दाउदनगर में 167, देव में 562, गोह में 600, हसपुरा में 197, कुटुंबा में 57, मदनपुर में 317, नबीनगर में 519, ओबरा में 509 और रफीगंज में 457 रक्त के नमूने फाइलेरिया जांच के लिए लिये गये हैं.

फाइलेरिया परजीवी की मौजूदगी की होगी जांच

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग के प्रभारी डॉ कुमार महेंद्र प्रताप ने बताया फाइलेरिया की रोकथाम के लिए नाइट ब्लड सर्वे किया गया है. प्रत्येक साइट से प्रतिदिन 75 रक्त सैंपल लेने थे. जिला में ग्यारह प्रखंड के अंतर्गत कुल 22 साइट बनाये गये जहां लोगों को फाइलेरिया रोग के प्रति जागरूक कर उनका रक्त नमूना लिया गया.

 

इन रक्त के नमूनों की जांच कर फाइलेरिया रोग के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जायेगा. फाइलेरिया परजीवी के मौजूद होने पर वहां आवश्यक दवा का सेवन कराया जायेगा. इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, आम जनता और जनप्रतिनिधियों का अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ.

गंभीर है फाइलेरिया रोग होना, दवा सेवन जरूरी

फाइलेरिया एक नेग्लेक्टेड डिजीज है. इसका कारण यह है कि इससे मौत नहीं होती है. इसलिए इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है. जबकि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है और इसके होने से रोगी में एक प्रकार की विकलांगता आ जाती है. फाइलेरिया के कारण हाथ, पैर और जननांग में सूजन आ जाता है. यह सूजन इतना गंभीर होता है कि इससे दैनिक जीवन प्रभावित होता है.

 

शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करने पर फाइलेरिया लाइलाज हो जाता है. फाइलेरिया के कारण हाइड्रोसील बढ़ जाता है. इसकी सर्जरी कर इसे ठीक किया जा सकता है. महिलाओं के स्तन में भी फाइलेरिया हो सकता है. इसकी पहचान होने पर रोग के इलाज के लिए आवश्यक परामर्श स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त की जानी चाहिए.

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