औरंगाबाद

डॉ शंकरदयाल सिंह की जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

मैंने तुम्हें देखा था,अभी यहीं ठहाकों के बीच-:अकेला

औरंगाबाद।

मैंने तुम्हें देखा था/अभी यहीं/ठहाकों के बीच/पर अचानक/कहाँ गुम हो गये तुम/किन ख्यालों में /किन ख़्वाबों में/धार के इस पार/या धार के उस पार।

 

उपरोक्त पंक्तियाँ वरीय कवि एवं कथाकार अरविन्द अकेला ने देश के लोकप्रिय साहित्यकार व सांसद डॉक्टर शंकरदयाल की 86 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में उनकी स्मृति को समर्पित करते हुए कही।

 

जनेश्वर विकास केंद्र की अनुशांगिक इकाई “साहित्य संवाद” द्वारा आयोजित इस अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का उद्घाटन देश की लब्ध प्रतिष्ठित कवियित्री एवं ग़ज़लकारा डॉक्टर नेहा इलाहाबादी ने किया। डॉक्टर नेहा ने शंकरदयाल को मिलनसार एवं सौम्य व्यक्तित्व बताया।

 

कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप में पधारे वरीय कवि एवं छतीसगढ़ के फिल्म अभिनेता सुनील दत्त मिश्रा एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में श्री सीमेन्ट के प्रबंध निर्देशक ज्ञानेन्द्र मोहन खरे ने शंकरदयाल जी को हिन्दी साहित्य का एक अजीम शख्सियत बताया।

 

कवि सम्मेलन का मंच संचालन करते हुए साहित्य संवाद के संयोजक एवं वरीय कवि श्री राम राय ने कहा शंकरदयाल अवतारी थे/कवियों के कृष्ण मुरारी थे/बात-बात में लगाते ठहाके/रूप से मनोहारी थे। कवि सम्मेलन की शुरुआत जानी मानी वरीय कवियित्री सुषमा सिंह ने सस्वर सरस्वती वंदना से की।

 

कवि सम्मेलन में सहाना प्रवीन (पटियाला),बृजेंद्र नारायण द्विवेदी (वाराणसी), राम कुमार प्रजापति (अलवर), अलका पांडे (मुंबई), बीना सिंह रागी, रामाकांत सोनी सुदर्शन (नवलगढ़), बृजेश राय (गोरखपुर), सुनील दत्त मिश्र( छतीसगढ़), सुषमा सिंह (औरंगाबाद), शैलेन्द्र सिंह शैली(महेंद्रगढ़), वीणा आडवाणी तन्वी (नागपुर) एवं डॉक्टर नेहा इलाहाबादी (नई दिल्ली) ने अपनी अपनी रचनाओं के माध्यम से शंकरदयाल जी के व्यक्तित्व को अपनी रचनाओं में रेखांकित कर संपूर्ण वातावरण को काव्यमय बना दिया।

 

अंत में धन्यवाद ज्ञापन साहित्यकुंज के प्रधान महासचिव अरविन्द अकेला ने किया। कार्यक्रम के अंत मे संयोजक श्री राम राय द्वारा आगंतुक सभी कवि,कवियित्री एवं अतिथि को सम्मानित किया गया।

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