औरंगाबाद

नगर परिषद औरंगाबाद द्वारा दुकानों की बंदोबस्ती में बरती गई घोर अनियमितता, रिश्तेदारों के बीच बंदरबांट करने का लगा आरोप

धीरज शर्मा की रिपोर्ट

औरंगाबाद: नगर परिषद औरंगाबाद ने नियमों की अवहेलना करते हुए दुकानों की बन्दोबस्ती कर दी गई।जनवरी 2021 में विज्ञापन में प्रकाशित निविदा के अनुसार 29/12/20 , 30/12/20 तथा 31/12/20 को लगभग 54 अदद् दुकानों की बन्दोबस्ती होनी थी। कार्यालय नगर परिषद द्वारा पत्रांक 1840 दिनांक 24/12/2020 के माध्यम से विज्ञापन में प्रकाशित बन्दोबस्ती की तिथि को पलटते हुए 04/01/21, 05/01/21 तथा 06/01/21 को बन्दोबस्ती सम्पन्न करा दी गई।

 

यह हम नही कह रहे बल्कि उक्त बातें कहना है औरंगाबाद के आरटीआई एक्टिविस्ट रवींद्र कुमार सिंह का। उन्होंने नगर परिषद कार्यालय पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा की निलामी प्रक्रिया में नगर परिषद द्वारा गडबड़ी नगर विकास विभाग को करोड़ों का चुना लगाया है। नियमानुकूल कार्यालय को विज्ञापन में छपी तिथि में बदलाव के लिए शुद्धि पत्र का प्रकाशन करवाने चाहिए थे, जो नहीं किया गया। जिसके कारण जिले के अत्यधिक लोगों को बन्दोबस्ती होने की खबर तक नहीं लग सकी। जिससे नगर विकास विभाग को करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

 

इन दुकानों की बन्दोबस्ती में वार्ड पार्षद, वार्ड पार्षद के परिवार तथा नगर परिषद कार्यालय में नाजिर के पद पर कार्यरत कर्मी के अविवाहित पुत्र तक को अवैध तरीके से दुकान आवंटित कर दी गई। जिसके बाद श्री सिंह ने इस सम्बन्ध में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहाँ परिवाद दायर कर दिया। मगर इस न्याय के मंदिर में उन्हें निराशा हीं हाथ लगी। पून: परिवादी रविन्द्र कुमार सिंह ने प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह प्रमंडलीय आयुक्त , मगध गया के यहाँ अपील किया। उन्होंने बताया की प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह प्रमंडलीय आयुक्त मगध गया के यहाँ 02/09/2022 को प्रथम अपील के जरिए परिवाद दायर किया गया था।

 

जिसका अंतिम आदेश दिनांक 17/12/2022 को आ चुका है। जिसमें कहा गया है की लोक प्राधिकार द्वारा समर्पित प्रतिवेदन, अपीलार्थी द्वारा लगाए गए आरोप के सम्यक नहीं है क्योंकि प्रतिवेदन में जिन दुकानों की बंदोवस्ती नहीं हुई थी उनका विज्ञापन विभिन्न अखबारों में विधिवत प्रकाशन के बिन्दु पर प्रतिवेदन गौण है। अपीलार्थी द्वारा सुनवाई के क्रम में उक्त तथ्यों पर ध्यान आकृष्ट कराया गया परंतु पृच्छा उपरांत लोक प्राधिकार द्वारा भी स्पष्ट प्रतिउत्तर समति नहीं किया गया।

 

सम्यक विचारोपरांत यह मामला जिला पदाधिकारी, औरंगाबाद के संज्ञान में लाया जाता है। जिला पदाधिकारी, औरंगाबाद निदेशित हैं कि उक्त मामले की सूक्ष्मता से जांच करते हुए नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें। वहीं इस मामले में रवींद्र सिंह ने कहा की अब वे इस मामले को लेकर द्वितीय अपीलीय प्राधिकार में गए हैं। श्री सिंह ने कहा कि वे हर हाल में नगर परिषद कार्यालय में हुए दुकान बंदोबस्ती के बंदरबांट का पर्दा हटाकर रहेंगे।

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