
औरंगाबाद।किसी शायर ने सही कहा है कि हौसले जब बुलंद हो तो आंधियों में भी चिराग जलते है और इस कहावत को चरितार्थ किया है औरंगाबाद शहर के सूर्य मंदिर रोड के समीप रहने वाले एक छोटे से व्यवसाई अरुण सिंह एवं शिक्षिका मां शशि कुमारी की पुत्री रुहानिका सिंह ने।रुहानिका आज परिचय का मोहताज नहीं क्योंकि उसने सिनेमा के रुपहले परदे पर उसकी एक फिल्म अनोखी रिलीज हुई।
इस फिल्म में उसने एक रिपोर्टर की भूमिका निभाकर महिलाओं की आवाज को बुलंद किया।बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निदेशक संजय सिन्हा द्वारा निर्देशित एवं ख्यातिप्राप्त अभिनेता राहुल रॉय के साथ फिल्म में काम कर वह काफी रोमांचित हो रही है। 6 जनवरी को बिहार झारखंड सहित देश के प्रमुख सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज हुई इस फिल्म में रुहानिका ने महज दस मिनट का ही रोल किया है लेकिन इस दस मिनट के रोल में उसने अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी है।
रुहानिका का यह सफर आसान नहीं था।इस फिल्म के शुरू से लेकर अंत तक वह अपने ही समाज के लोगों के द्वारा उपेक्षित होती रही और लोगों के ताने को सुनती रही।लेकिन रुहानिका के माता पिता का एक मात्र लक्ष्य था कि परिस्थिति कुछ भी हो वे अपनी बेटी को स्थापित करके ही दम लेंगी।उनकी इच्छाशक्ति ने रंग दिखाया और आज उनके बेटी की फिल्म धूम मचा रही है।
रुहानिका फिल्मों में अश्लीलता के खिलाफ है और उसने कहा कि वह हमेशा साफ सुथरी फिल्म ही करेगी।उसने कहा कि ऐसे कई फिल्मों के ऑफर मिले मगर उसने किसी फिल्म को स्वीकार नहीं किया।उसका कहना है कि वह आखरी दम तक अश्लीलता के खिलाफ लड़ती रहेगी।