औरंगाबाद

हिन्दू जागरण मंच ने महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर किया उन्हें याद

औरंगाबाद। हिन्दू जागरण मंच औरंगाबाद के द्वारा महाराणा प्रताप के पुण्य तिथि मनाया। इस अवसर पर शहर के महाराणा प्रताप चौक पर स्थित महाराण प्रताप के स्मारक पर मालार्पण कर उनके पूण्य तिथि पर नमन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्ष जिला अध्यक्ष प्रभुदयाल और संचालन जिला मंत्री राजीव सिंह ने किया।

 

इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री अधिवक्ता बीरेन्द्र कुमार जी ने महाराणा प्रताप जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा:- महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में 9 मई, 1540 ई. को हुआ था . उन्होंने अपनी मां से ही युद्ध कौशल के बारे में जाना.महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध काफी चर्चित है. क्योंकि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था.

 

ऐसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे. मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी. महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था. उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था.

 

इस अवसर पर जिला महामंत्री शशि भूषण सिंह ने उनके युद्ध पराक्रम की चर्चा करते हुए कहाँ कि हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक. इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे.कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।

 

 

जिला विधि प्रमुख अंजनी कुमार सिंह उर्फ सरोज ने उनके घोड़ा की पराक्रम की चर्चा करते हुए कहाँ कि महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था. महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था। बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था. आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है.हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले सिर्फ एक मुस्लिम सरदार था -हकीम खां सूरी.

 

हल्दीघाटी की लड़ाई में उनका वफादार घोड़ा चेतक गंभीर रूप से जख्मी होने की वजह से मारा गया. लेकिन इस शहादत ने उसे खासी शोहरत दिलाई।कार्यक्रम के समापन करते हुए जिला उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह ने सभी को अभिवादन एवं धन्यवाद दिया।इस मौके जिला मंत्री अविनाश,दीपक कुमार के साथ दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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