
औरंगाबाद। भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री आलोक कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री के समाधान यात्रा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री समाधान यात्रा के तहत औरंगाबाद जिले के दौरे पर आये । आम लोगो मे इस यात्रा को लेकर कोई उत्साह नही दिखी। वैसे भी मुख्यमंत्री जी की यह पिकनिक यात्रा से औरंगाबाद की जनता को कुछ भी मिलने वाला नही था। मुख्यमंत्री जी की विकास को लेकर समीक्षा भी पूर्णतः छलावा था। यह सोचा जा सकता है कि जिला मुख्यालय में उनके द्वारा 35 मिनट की समीक्षा में आखिर क्या समीक्षा किया गया होगा।
उन्होंने कहा कि औरंगाबाद की जनता पिछले 13 वर्षों से केंद्रीय विद्यालय की जमीन के लिये तरस रही। अभी तक यह विद्यालय को अपना भवन नही है। भारत सरकार द्वारा औरंगाबाद को केंद्रीय विद्यालय की सौगात दी गई है। तत्काल यह बभंडी में संचालित है। राज्य सरकार को आवश्यक 5 एकड़ भूमि उपलब्ध करानी थी। यदि राज्य सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध हो जाती तो भारत सरकार द्वारा 60 करोड़ की राशि केंद्रीय विद्यालय का भवन निर्माण के लिये उपलब्ध करा देती। लगातार 17 सालों से मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार का शासन है , मुख्यमंत्री जी को आज के दौरे में इसका समाधान करना चाहिये था।
उन्होंने कहा कि औरंगाबाद जिले की महत्वकांक्षा पिछले 2 वर्षों से भारत सरकार के नीति आयोग के द्वारा मेडिकल कॉलेज को लेकर जगायी गई है। परंतु राज्य सरकार की उदासीनता के चलते समय पर भूमि प्रतिवेदन प्रस्ताव भारत सरकार के नीति आयोग को नही भेजा जा सका। फलतः औरंगाबाद जिला मेडिकल कॉलेज की सुविधा से वंचित रह गया। औरंगाबाद को मेडिकल कॉलेज की सुविधा से वंचित करने का पूरा श्रेय बिहार के स्वयं भू सुशासन बाबू नीतीश कुमार को जाता है। जिन्हें पिकनिक मनाने से फुरसत नही। उत्तर कोयल नहर जो मगध प्रमंडल का लाइफ लाइन है जिससे औरंगाबाद जिले के नवीनगर, कुटुंबा, देव, औरंगाबाद, मदनपुर, रफीगंज का सर्वाधिक भूभाग सिंचित होना है। भारत सरकार के द्वारा 1622.27 करोड़ की राशि की उपलब्धता के बावजूद राज्य सरकार की निष्क्रियता और विभागीय संवेदनहीनता के कारण तकनीकी व्यवधान बनते रह रहा है।
मुख्यमंत्री जी को समाधान यात्रा में यह समाधान करना चाहिये कि अब इस परियोजना का लाभ किसानों को दिलाने का संकल्प शक्ति का समाधान करना चाहिये था। औरंगाबाद के पर्यटन स्थल की अहर्ता रखने वाले देव , देवकुंड , उमंगा को पर्यटन स्थल घोषित कर पर्यटन सुविधा को पर्यटन उद्योग के रूप में विकसित करने का समाधान करना चाहिये था। देव में कार्तिक छठ महापर्व एवं चैती छठ महापर्व को लेकर लगने वाले मेला को राजकीय मेला घोषित करते हुये मेला प्राधिकार से जोड़ने का समाधान करना चाहिये था। औरंगाबाद के साथ ही पूरे राज्य के वित्त रहित शिक्षको को मुख्यमंत्री जी से समस्या समाधान की उम्मीदें थी किन्तु मुख्यमंत्री जी की हठ नीति के कारण वित्त रहित कर्मी आज उपेक्षा का शिकार है।
आखिर शिक्षा का यह दोयम नीति के पोषक बन कर क्या समाधान करेंगे । 1982 से वित्त रहित शिक्षा नीति को 2008 में समाधान कर अनुदान देने की घोषणा को आज राज्य सरकार के स्पष्ट नीतियों के अभाव में अनुदान को जटिल बनाया जाना या बंद करने की साजिश किया जा रहा है। पूरे बिहार को इसका समाधान चाहिये था। औरंगाबाद के युवा खिलाड़ियों के उत्साहवर्द्धन और उचित विकास के लिये अब तक एक भी खेल मैदान को विकसित नही करना राज्य सरकार की खिलाड़ियों के प्रति उदासीनता को प्रदर्शित करती है। औरंगाबाद की जनता को मुख्यमंत्री से इन सबो का समाधान चाहिये था किंतु मुख्यमंत्री जी को कुर्सी प्रेम में अब विकास से कोई वास्ता नही रहा।
बिहार की जनता की बेहतरी अब उनकी प्राथमिकता में नही रहा, करोड़ो खर्च कर बिहार की जनता की गाढ़ी कमाई से पिकनिक यात्रा करने को लेकर बिहार की जनता कभी क्षमा नही करेंगे। औरंगाबाद की महान जनता जो अपने सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करना जानती है वो माननीय मुख्यमंत्री को इसका मूल्य आने वाले दिनों में चुकाना होगा। औरंगाबाद की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वनवास की इच्छा पूर्ण करने में सहायक बनेगा।