औरंगाबाद

जंगलराज में पलायन और नीतिशराज में देश भर में हिंसा के शिकार हो रहे हैं बिहारी-रामानुज

मांग-केंद्र सरकार कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा सम्बन्धी राज्य सरकार के अधिकार एवं दायित्व की समीक्षा करे

 

औरंगाबाद। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रामानुज पाण्डेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर तामिलनाडु के चेन्नई एवं अन्य हिस्सो में बिहारियों पर हो रहे कातिलाना हमले की कड़ी निंदा किया है और कहा है कि विगत चार दशकों से बड़े भाई और छोटे भाई के सरकार में बिहारी न सिर्फ लूट अपहरण बेरोजगारी के कारण पलायन को विवश हुए बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों में हिंसा के भी लगातार शिकार हो रहे हैं।

 

कभी पंजाब में कभी महाराष्ट्र में कभी दक्षिण भारत मे औऱ कभी दिल्ली में बिहारियों के साथ हिंसा और अपमानजनक घटनाएं बिहार को शर्मिंदा करने वाली है।पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि तथाकथित पिछडो की हितैषी कहे जाने वाली महागठबंधन की सरकार जरा पता करे कि हिंसा के शिकार कौन हो रहे है सबसे ज्यादा रोजीरोटी के लिए कौन बिहार से बाहर जाने को विवश होते हैं

 

सत्ता में काबिज रहने के लिए जातीय जनगणना कराने वाली संवेदनहीन सरकार को बिहार और बिहारियों के अस्मिता औऱ सुरक्षा से कोई मतलब नही है।यह वही बिहार है जब देश आजाद हुआ था तब देश भर के लोग, सिंदरी,बरौनी,बोकारो, राँची,डालमियानगर सहित संयुक्त बिहार के कई जिलों देश भर के लोग रोजगार पाने आते थे लेकिन जातिवाद,अपराध औऱ लूट भ्रष्टाचार के घून ने पूरे बिहार से उद्योग धन्धो को बंद करा दिया।

 

बिहारी शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में दर दर भटकने औऱ अपमानित होने को विवश हो गए।बिहार जिसने दुनिया को लोकतंत्र दिया सबसे बड़ा विश्वविद्यालय दिया। जहाँ के बड़े बड़े उद्योग धंधे बंद हो गए।आज सिर्फ हिंसा अपराध और बेरोजगारी ही बिहार की नियति है औऱ सत्तालोलुप नेताओं को सिर्फ कुर्सी प्यारी है।परन्तु इसके लिए मात्र नेता ही दोषी नही है हर वो बिहारी भी उतना ही दोषी है जो जातियों में बटकर भ्रष्ट औऱ अयोग्य नेताओं की जय जयकार में लगा है औऱ उन्हें कुर्सी सौंपता है।

 

पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इकबाल विहीन राज्य सरकार बिहार की अस्मिता औऱ बिहारियों को कोई भी सुरक्षा नही प्रदान करा सकती अतः केंद्र सरकार से औऱ माननीय गृहमंत्री अमित शाह जी से आग्रह है कि कानून की समीक्षा भी हो और देश के प्रत्येक नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा भी हो और उन्हें सुरक्षा भी मिले तथा जो हिंसा के शिकार हुए हैं उन्हें बेहतर इलाज औऱ मुआवजा की व्यवस्था हो।

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