औरंगाबाद

सदर अस्पताल में धरने पर बैठे अस्पताल कर्मियों एवं इस धरने में सहयोगी रहे राजद नेताओं पर दर्ज हो हत्या का मुकदमा

औरंगाबाद। सदर प्रखंड के फेसर थाना क्षेत्र के बाकन गाँव के समीप शनिवार की शाम ट्रैक्टर के अनियंत्रित होकर पलट जाने से बघोई खुर्द निवासी विनय सिंह उम्र 40 वर्ष की मौत हो गई थी और उनके पुत्र रौशन कुमार उम्र 16 वर्ष को घायल अवस्था में सदर अस्पताल लाया गया था। अस्पताल में इलाज में लापरवाही बरती गई जिसके कारण रौशन की भी मौत हो गई।

 

भाजपा जिला मीडिया प्रभारी मितेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि सदर अस्पताल में एक रोस्टर में दो डॉक्टर की ड्यूटी रहती है।मगर शनिवार को उस वक्त मात्र एक डॉक्टर ही ड्यूटी में थे। समय से इलाज नहीं होने पर परिजन के द्वारा विरोध किया गया। जिसकी सूचना परिजनों ने सांसद सुशील कुमार सिंह को इसकी सूचना दी। सूचना मिलते ही सांसद, भाजपा जिलाध्यक्ष मुकेश शर्मा और मुखिया प्रतिनिधि अमरीश सिंह अस्पताल पहुँचे और स्थिति की जानकारी ली।

 

सांसद जब सदर अस्पताल पहुंचे तो सिविल सर्जन, अस्पताल उपाधीक्षक, अस्पताल प्रबंधक और डॉक्टर उपस्थित नही थे।इसकी जानकारी सांसद ने जिला पदाधिकारी को दी और स्थिति के बारे में अवगत कराया। सांसद को पहुंचने के 20 मिनट के बाद सिविल सर्जन और उपाधीक्षक अस्पताल में पहुँचे। जब सांसद ने पूछा कि इलाज में लापरवाही क्यों बरती गई और आप उस समय कहां थे तो सिविल सर्जन ने कहा कि वह और अस्पताल उपाधीक्षक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चल रहे मीटिंग में मौजूद थे। सांसद ने कहा कि जब कोई इमरजेंसी केस आया था तब क्यों नहीं इलाज किया गया।

 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कौन कौन लोग थे इसकी भी जाँच होनी चाहिए कि सिविल सर्जन झूठ बोल रहे है कि सच।इन सभी बातों को लेकर अस्पताल कर्मी कल दिनांक 28 मार्च की सुबह 9 बजे से धरना पर बैठ गए। जिससे अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई। धरना की सूचना वरीय पदाधिकारी को दी गई थी कि नहीं यह भी जाँच का विषय है और अगर दी गई थी तो सिविल सर्जन, अस्पताल उपाधीक्षक और अस्पताल प्रबंधक के द्वारा इमरजेंसी के लिए पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई। इस धरने के चलते इमरजेंसी में चिकित्सीय व्यवस्था ठप हो चुकी थी।

 

धरने के कारण इमरजेंसी में चिकित्सीय व्यवस्था नही पाई गई और स्थिति यह हो गई कि नवीनगर प्रखंड के कालापहाड़ निवासी अशोक कुमार सिंह पिता स्व. सूर्यदेव सिंह की इलाज के अभाव में अस्पताल में आधे घंटे तक तड़पने के बाद दोपहर 2:40 पर मौत हो गई और कर्मी धरना पर बैठे रहे।धरने पर कर्मियों के रहने के कारण उनका समुचित इलाज नहीं हो सका।मीडिया प्रभारी ने कहा कि सांसद पर जो आरोप लगाए गए हैं वह बिल्कुल गलत है इसकी जाँच अस्पताल के वीडियो फुटेज से की जा सकती है।यह सभी बातें राजद के नेताओं के द्वारा षड्यंत्र कर किया गया है। राजद के नेता अपने सरकार और बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के नाकामयाबी को छिपाने के लिए धरना पर बैठे हुए थे।

 

मीडिया प्रभारी ने पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की और कहा कि अशोक कुमार सिंह मौत मामले में जिम्मेवार धरना पर बैठे राजद के नेता, सिविल सर्जन, अस्पताल उपाधीक्षक, अस्पताल प्रबंधक और स्वास्थ्य कर्मी लोग है।इन सभी के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए और जल्द से जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मृतक के परिवार के सदस्यों को 50 लाख रुपए का मुआवजा मिलना चाहिए।उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में आए दिन इस तरह की लापरवाही देखने को मिलती है और इलाज के आभाव में लोगों की मौत हो जाती है।

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