औरंगाबाद

जल की संकट को देखते हुए भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

औरंगाबाद। जिले में गहराते जल संकट को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं पूर्व उपाध्यक्ष, जिला 20 सूत्री औरंगाबाद रामानुज पांडेय ने सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को पत्र लिखकर यहां की स्थिति से अवगत कराया है और जल संकट से निजात पाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया है। श्री पांडेय ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में क्या लिखा है आइए जाने

सेवा में

माननीय मुख्यमंत्री जी

बिहार सरकार

विषय-:आपके द्वारा लगातार कई वर्षों से घोषित, आहर, पोखर, तालाब कुँआ को अतिक्रमणमुक्त कराकर उनका जीर्णोद्धार कार्यक्रम के क्रियान्वयन नही होने के सम्बंध मे।

महोदय ,

आपके द्वारा जनहित में अनेकों लोक लुभावन नीतियों कार्यक्रमो की घोषणा तो की गई है परंतु कोई भी धरातल पर नही क्रियान्वित नही होती।लगातार भूजल स्तर गिरने से प्रत्येक वर्ष शुध्द पेयजल की उतपन्न हो रही समस्या से बिहार का जन जीवन जूझने को विवश है और आपकी घोषणाएं फाइलों में धूल फाँक रही है।

 

माननीय मुख्यमंत्री जी हम समझते हैं कि बिहार में जितने भी आहार, पोखर, तालाब, कुँआ एवं नदी नाले आदि जितने जलस्रोत हैं जिनके बदस्तूर अतिक्रमण जारी है। जिस कारण से न सिर्फ़ लोगों को पेयजल के संकट का सामना करना पड़ रहा है। बल्कि हल्की बारिश में शहरों से लेकर गाँव तक सड़के गलियाँ पानी मे डूब जाती है।जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है औऱ यह सब नदी नाले जलमार्गों के अतिक्रमण के कारण होते हैं।देश में 1966-67 के अकाल में बहुत से सरकारी कुँए तालाब बने जो आज अस्तित्व विहीन है उनका कोई अतापता नही है।

 

आज लोगों की बदली जीवन शैली और सरकार के नल जल योजना से भी केवल धरती से जल निकाल ही रहे हैं। चाहे पीने के लिए हो या खेती या उद्योग के लिए लेकिन हम #आहार #पोखर #तालाब या #सोखता बनाकर पुनः धरती के जलस्तर को सामान्य औऱ समृद्ध नही कर रहे हैं।

 

जबकि बदलते पर्यावरण और जलवायु के दौर में जरूरत है कि नए नए आहार पोखर तालाब केवल गाँव मे नही बल्कि आबादी के अनुपात में शहरों में भी बनवाए जाएं।ताकि वर्तमान में एवं भविष्य में जलसंकट का सामना जन जीवन को न करना पड़े यह शासन का उत्तरदायित्व है।

 

अतः मुख्यमंत्री महोदय मेरे स्मरण कराने पर आप अपने घोषणा को तत्काल प्रभाव से क्रियान्वित कराएं। वहीं गाँवो औऱ शहरों में नए तालाबों का निर्माण कराएं औऱ इसमें मछली पालन, सिंघाड़ा, मखाना एवं अन्य उत्पाद एवं क्रीड़ा इत्यादि से जोड़कर से समाज के लिए बहुपयोगी बनवाने का भी काम करें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इसे भी पढ़ें

Back to top button

You cannot copy content of this page