
औरंगाबाद। जिले में व्याप्त जल संकट को देखते हुए पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष सह राष्ट्रीय जनता दल के वरीय नेता राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह ने जिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर जिले में जल संकट किंस्थिति से न सिर्फ अवगत कराया है।बल्कि इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ सुझाव भी दिया है।पूर्व अध्यक्ष ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में बताया है कि प्रत्येक वर्ष जिस प्रकार से भूगर्भ जल स्तर गिरता जा रहा है वह अत्यंत चिंताजनक है। इसके लिए स्थाई निदान की दिशा में अभिलंब पहल करने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि बदलता जलवायु, बेतहाशा भूगर्भ जल का दोहन, आवश्यकता से अधिक जल का दुरुपयोग, कृषि एवं उद्योग में बढ़ता जल खपत, भूगर्भ जल संग्रहण का नहीं होना जल संकट उत्पन्न करने के प्रमुख कारण है। जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए उन्होंने यह बताया कि आज शहर से लेकर गांव तक पक्के घर पक्की नालियों का निर्माण हो चुका है।
नाली का पानी नालों एवं नदियों से होते समुंदर में जा रहा है। लेकिन इसी पानी का स्थानीय भूगर्भ में जल नहीं जाना जलस्तर को प्रत्येक वर्ष नीचे ले जा रहा है। अगर स्थिति यही रहेगी तो एक दिन ऐसा ना आ जाए जब लोग पेयजल के लिए तड़पने को मजबूर हो जाए।ऐसा अभी शहर के कई मोहल्लों में देखने को मिल भी रहा है।
पूर्व जिलाध्यक्ष श्री सिंह ने इस संकट से निजात पाने के लिए जिलाधिकारी को कुछ सुझाव भी दिया है।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा नदी, आहर, पोखर, तालाब, कुएं सहित कई और अन्य जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें अविलंब सुदृढ़ कराया जाना चाहिए।
नगर निकायों को निर्देशित कर प्रत्येक घरों में सोख्ता (जल ग्रहण की व्यवस्था) सुनिश्चित कराया जाए। नगरों एवं गांव में तालाबों की उड़ाही एवं नए तालाबों का निर्माण कराया जाए जिससे भूगर्भ जल में जोड़ने की व्यवस्था भी हो। औरंगाबाद नगर के अदरी नदी के साथ साथ जिले के अन्य नदियों एवं नालों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना चाहिए।
नदियों और नालों में बांध बनवाए जाए एवं उनकी सफाई की भी व्यवस्था कराई जाए। नल जल योजना के तहत ऐसे कई स्थानों पर देखा जाता है कि कहीं कहीं पानी बेकार बह रहे होते हैं।जिसके लिए संबंधित निकाय, पंचायत स्तर पर त्वरित व्यवस्था बनवाया जाय। पांचवा जिले के जनप्रतिनिधियों शिक्षण संस्थानों के माध्यम से जल्द सुरक्षा, सीमित उपयोग एवं भविष्य के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए।
जल ही जीवन है लेकिन हम सभी इसे जानते हुए भी नजरअंदाज कर रहे हैं और संकट के कारण बन रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष ने अपने पत्र के माध्यम से आग्रह किया है कि जनहित में जल संकट को दूर करने में यदि उनके सुझाव उपयोगी लग रहे हैं तो अपनी तरफ से भी कुछ और महत्वपूर्ण उपायों को जोड़ते हुए उसे अविलंब कराने के लिए निर्देशित की जाय ताकि जल संकट से राहत मिल सके।