
औरंगाबाद। कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र के पंचायत समिति सदस्यों ने पंचायती राज विभाग के पदाधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और समिति सदस्यों ने कार्यालय में जमकर बवाल काटा। उन्होंने प्रखंड प्रमुख एवं बीपीआरओ की मिलीभगत से योजनाओं में कमीशनखोरी एवं राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए योजनाओं में बंदरबांट करने का आरोप लगाया है। ग्राम पंचायत अंबा के पंचायत समिति सदस्य अतुल पांडेय ने बताया कि बीपीआरओ प्रमुख के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं।
पैसा और सर्टिफिकेट लेकर खुल रहा है योजनाओं का रेकड़
वे पैसा लेकर और सर्टिफिकेट जमा कर पंचायत समिति की योजनाओं का रेकड़ खोल रहे हैं। ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारियों के कारण ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कि विकासोन्मुखी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही है। पदाधिकारी छिटपुट काम कर योजना राशि का बंदरबांट कर लेते हैं और जनता की नजर में सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है।
ग्राम पंचायत वर्मा के पंचायत समिति सदस्य अजय कुमार मेहता ने कहा कि जनता ने भरोसे के साथ विकास करने के लिए चुनाव जीता कर भेजा है। परंतु यहां अधिकारियों के द्वारा हमें अनदेखा किया जाता है। पदाधिकारी जनप्रतिनिधि की बात नहीं सुनते हैं। इसके लिए बीपीआरओ एवं प्रमुख दोषी हैं। पदाधिकारी हमें काम न दें। वे खुद काम कर हमारे क्षेत्र का विकास करें। ताकि हम जनता के वोट का कर्ज उतार सके।
बीपीआरओ के साइन के बगैर खुल रही है योजनाएं
आरोपों को खारिज करते हुए बीपीआरओ हरेंद्र चौधरी ने कहा कि पंचायत समिति सदस्यों ने सर्टिफिकेट हमें नहीं दिया है और योजनाओं के आवंटन को लेकर मैंने शुरू से ही ढुलमूल रवैया अपनाया हुआ है। खुली हुई योजनाओं पर मैंने साइन भी नहीं किया है। योजना खोले जाने की बात पर उन्होंने क्लर्क को फटकार भी लगाई।
उन्होंने कहां की पंचायत समिति सदस्य बैठक कर योजना के बंटवारा करने का निर्णय ले ले। जब तक पंचायत समिति सदस्यों की बैठक नहीं हो जाती तब तक योजनाएं नहीं खुलेंगी। गौरतलब है कि पंचायत राज पदाधिकारी के साइन के बगैर ही योजनाएं खुल जा रही है। इस पर अतुल पांडे ने कहा कि बीपीआरओ द्वारा बार-बार आश्वासन देने के बावजूद चोरी-छिपे रेकड़ खोल दिया जाता है। कमीशनखोरी के चक्कर में किसी को 50 लाख तो किसी को 70 लाख की योजना खोल दी जाती है। जबकि हर क्षेत्र में योजनाओं का बंटवारा बराबर होना चाहिए। इसी तरह विगत दो वर्षों में बीपीआरओ और प्रमुख की मिलीभगत से एक-दो पंचायत में करोड़ों का योजना खोलकर प्रखंड क्षेत्र के अन्य पंचायतों के विकास को अनदेखा किया जा रहा है।
23 प्रतिशत कमीशन लेते हैं पदाधिकारी
पंचायत समिति सदस्यों ने पंचायत राज पदाधिकारी पर 23 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि यहां कमीशन के बगैर कोई काम नहीं होता है। हर टेबल पर कमीशन बंधा हुआ है। जिसमें प्रखंड प्रमुख को पांच प्रतिशत, उप प्रमुख को दो प्रतिशत, बीपीआरओ को पांच प्रतिशत, जेई को पांच प्रतिशत और अन्य ऑफिस खर्च लेकर कुल 23 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है। इतना कमीशन देने के बाद जनप्रतिनिधि विकास का काम कैसे करेंगे।
त्रस्त है पंचायत प्रतिनिधि
सही काम ना होने पर जनता हमें भला बुरा कहती है। अधिकारियों की कमीशनखोरी से हम लोग त्रस्त हैं। भ्रष्टाचार और पदाधिकारियों की मनमानी का आलम यह है कि प्रखंड क्षेत्र के विकास का ब्यौरा जानने के लिए 19 पंचायत समिति सदस्यों ने हस्ताक्षर कर बीपीआरओ को आवेदन सौंपा था। 5 माह गुजर जाने के बावजूद बीपीआरओ ने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। धौंस जताते हुए बोलते हैं कि जवाब नहीं देंगे। इस मामले के विरुद्ध हम लोग जिलाधिकारी से मुलाकात करेंगे।