औरंगाबाद

प्रेमचंद की रचनाओं को पढ़ने के बाद भारत भ्रमण की जरूरत नहीं पड़ती

औरंगाबाद। जिला मुख्यालय औरंगाबाद में सत्येंद्र नगर मुहल्ले में सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के आवास पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं समकालीन जवाबदेही परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आधुनिक हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार, उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी की 143वीं जयंती समारोह धूमधाम से मनाई गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सिंहा कॉलेज के अवकाश प्राप्त रसायन शास्त्र के प्रोफेसर डॉ सी एस पांडेय ने किया।जबकि संचालन मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया। सर्वप्रथम प्रेमचंद के तैल चित्र पर उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात संबोधन के क्रम में समकालीन जवाबदेही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद कालजई साहित्यकार के साथ-साथ जीवंत साहित्य सर्जक के रूप में साहित्यिक मशाल को जलने का कार्य किया यदि प्रेमचंद की सभी पुस्तकों का अवलोकन कर लें तो भारत भ्रमण की जरूरत ही नहीं पड़े।

डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में आदर्शवाद का गहरा रंग दिखाई पड़ता है वे अपने रचनाओं के माध्यम से सीधे मानव के अंत:स्थल में छाप छोड़ देते हैं। डॉ रामाधार सिंह ने प्रेमचंद के साहित्य को पर्यावरण से जुड़ा हुआ साहित्य बताया एवं काव्य पाठ के माध्यम से श्रद्धांजलि दी धनंजय जयपुरी ने उनके समग्र साहित्य के अवलोकनार्थ जमीनी हकीकत से एहसास करानेवाला साहित्य बताया।

लव कुश प्रसाद सिंह एवं कवि नागेंद्र केसरी ने प्रेमचंद के जीवन पर आधारित काव्य पाठ के माध्यम से प्रेमचंद को श्रद्धांजलि दी। प्रमंडलीय शिक्षक संघ के नेता रामभजन सिंह,जनार्दन जलज, मुरलीधर पांडेय ,प्रवीण कुमार सिंह, अनिल कुमार ,राम सुरेश सिंह, सिंहेश सिंह , अशोक कुमार सिंह अलखदेव सिंह विनय मामूली बुद्धि ने प्रेमचंद को आमजन से जुड़ा हुआ साहित्यकार बताया। धन्यवाद ज्ञापन सुरेश विद्यार्थी ने किया।

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