औरंगाबाद

दाऊदनगर में हुई किसान हत्या में वर्चुअल मर्डर का मामला आया सामने, 75 फ़ीसदी दिव्यांग पर भी है हत्या का आरोप

औरंगाबाद : अभी तक हमलोगों ने यही जाना है कि कोई भी सामाग्री खरीद-बिक्री करनी है, मीटिंग करनी हो या वैसे कोई भी काम जो सामने उपस्थित होकर नहीं किया जा सकता है तो उसे वर्चुअल माध्यम से संपादित किया जाता है कोरोना कल के बाद से वर्चुअल वर्क अधिक होने लगे हैं। लेकिन औरंगाबाद के दाउदनगर में हुए एक हत्या में ऐसी बात सामने आई है।

इस हत्याकांड में कुछ ऐसे आरोपी बनाए गए हैं जो दाउदनगर से दूर है और हत्या के समय उनकी उपस्थित किसी भी कीमत पर संभव नहीं है। तो अब यही माना जा सकता है वे लोग जो हत्या के दिन दाउदनगर उपस्थित नहीं थे उनके द्वारा वर्चुअल मोड में आकर गोलियां भी चलाई गई और वर्चुअल में ही बाइक चलाकर भाग निकले।इस हत्याकांड में 7 लोग नामजद बने जिसमें छह तो एक ही परिवार के हैं।

गौरतलब है कि औरंगाबाद के दाउदनगर थाना क्षेत्र के दाउदनगर बारुण रोड में पासवान चौक पर 29 सितंबर की सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए निकले किसान को सात लोगों ने मिलकर गोलियों से भून दिया। जिससे उनकी मौत घटनास्थल पर हो गई।लेकिन इस हत्या के बाद मृतक किसान की पत्नी लाखो देवी ने मामले में सात लोगों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए कारवाई की मांग की है।

लाखो देवी द्वारा बनाए गए नामजद अभियुक्तों में शहर के ही कान्दु राम की गड़ही निवासी श्यामरस सिन्हा के पुत्र बबलू सिंहा, लव सिन्हा, कुश सिंहा एवं अमित कुमार सिंहा, यदुनंदन प्रसाद के पुत्र संजय सिंहा और इनके पुत्र सनी कुमार के साथ भखरुआं निवासी डब्लू तिवारी शामिल हैं।इस मामले में डब्लू तिवारी ने खुद को निर्देश बताते हुए जांच की मांग की है।

वही इस मामले नामजद आरोपित बने अमित सिन्हा ने मीडिया के माध्यम से पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई है।उन्होंने कहा है कि 29 सितंबर को जो घटना घटी उसका उन्हें दुःख है पर असली मुजरिम पकड़ा जाय जो इस हत्याकांड में शामिल है।भू माफियाओ ने इस केस में मेरे परिवार को झूठा फसाया है। इस हत्याकांड से मेरे परिवार का कोई वास्ता ही नही है। सिर्फ मेरी पुष्तैनी जमीन हड़पने के लिए मेरे परिवार के सदस्यों का इस हत्याकांड में नाम दिया गया है।

उन्होंने बताया कि दाउदनगर के तेज तर्रार पुलिस पदाधिकारी से उम्मीद है कि वह को जल्द ही मुजरिम को पकड़ लेंगे। जो भी असली मुजरिम हो उसे फाँसी हो ये हम मांग सरकार से करते है। हो सके तो सरकार इस मामले की सीबीआई जांच करा ले ताकि असली मुजरिम पकड़ा जाय। उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार पुलिस की जांच में सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार है।

श्री कुमार बताया कि आरोप लगाने वाले उनकी पुश्तैनी जमीन को कब्जाने के लिए भू माफियाओ के द्वारा सभी को झूठे केस में फसाया गया है।इस हत्याकांड से उनके परिवार के किसी सदस्य का कोई भी लेना देना नही है।उन्होंने बताया कि जहाँ तक बात सुनने को मिल रही है कि इन भू माफियाओ में पैसे के लेनदेन को लेकर आपसी लड़ाई झगड़े चल रहे थे। ऐसी स्थिति में दाउदनगर के प्रशासन से अनुरोध है कि कॉल डिटेल निकाल कर असली मुजरिम को पकड़ा जाए।

उन्होंने बताया कि नामजद बना सन्नी कुमार अभी मलेशिया में है। लव कुमार एक कम्पनी में काम करता है। अमित दिव्यांग है और सदर अस्पताल से उसकी दिव्यांगता 75% है। इससे साबित होता है कि मेरे परिवार को इस झूठे केस में फसाया गया है।

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