
संत का आचरण कैसा हो?
तुलसी संत सुअंब तरू, फूल-फल ही इति देत.
इतते वे पाहन हने,उतते वे फल देत.
औरंगाबाद में तथाकथित साधु-संत और सांसद श्री सुशील कुमार सिंह के बीच वार्तालाप का एक वीडियो वायरल है.
वीडियो के अवलोकन से प्रथम दृष्टया ही उक्त तथाकथित साधु-संत की उदंडता-धृष्टता-अशिष्टता-धूर्तता-षड्यंत्र जगजाहिर हो रही है जबकि सामने हाथ जोड़े खड़े सांसद सुशील कुमार सिंह की सुशीलता-सज्जनता-कुलीनता-शिष्टता-क्षमाशीलता-धैर्य दुनिया के सामने चमक बिखेरती नजर आ रही है.
वीडियो को देखने से दो बातें प्रथम दृष्टतया ही समझ में आ रही है-
1. यह वीडियो षड्यंत्र का हिस्सा है जो पूरी तरह प्रायोजित प्रतीत होता है क्योंकि आखिर वीडियो बना कैसे और वीडियो बनाने की तैयारी क्यों तथा किससे द्वारा की गई?
2.आपकी नाराजगी किसी के भी प्रति हो सकती है किन्तु नाराजगी को व्यक्त करने की भाषा कतई भी अभद्र-अशिष्ट और बेहूदगी की नहीं होनी चाहिए. आप साधु-संत के पोशाक में है और आपकी भाषा ऐसी अमर्यादित! मुझे तो आपके साधु-संत होने पर संदेह होता है.
आपकी अशिष्ट-अमर्यादित भाषा पर मैं थूकता हूँ- #आ…थू……
तथाकथित साधु जी आपको जानना चाहिए कि भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने वाला मानवीय तत्व क्षमा है और भगवान श्रीकृष्ण को विश्वव्यापी बनाने वाला मानवीय तत्व प्रेम है. आप संतत्व की ओर अग्रसर होना चाहते हैं किन्तु आपमें संत का एक गुण भी नहीं है.
यह तो दुनिया देख ली है आज…..सुशील बाबू सामर्थ्यवान होने के बाद भी सुशील हैं और भविष्य में भी सुशील बने रहेंगे,वीडियो इसकी भी एक बानगी है और दुनिया को यह देखना चाहिए. सांसद सुशील सिंह जी में धैर्यवान और क्षमाशील हैं,इसका भी उदाहरण है-यह वीडियो. जनता को इसे देखना चाहिए और महसूस भी करना चाहिए.
सच्चे प्रतिनिधि के तमाम गुणों के धारक के रूप में सुशील कुमार सिंह को स्थापित करता है-यह वीडियो. षड्यंत्रकारियों ने सांसद के अमंगल हेतु षड्यंत्र कर यह वीडियो वायरल किया होगा किन्तु कई बार होता यह है कि अमंगल के हेतु में मंगल का प्रस्फुटन निहीत होता है. जैसे-राम का वनवास अमंगल था किन्तु उसमें राक्षस रावण का वध मंगल के तत्व के रूप में संन्निहीत था.