
औरंगाबाद। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन सह रामाशीष सिंह फैमिली केयर के संयुक्त तत्वावधान में प्रियव्रत स्थित आईएमए हॉल में दिवंगत चिकित्सक, साहित्यकार एवं विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक रहे डॉ रामाशीष सिंह की पुण्य स्मृति में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उक्त सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह तथा संचालन प्रखर वक्ता, अधिवक्ता एवं पत्रकार प्रेमेंद्र मिश्र ने किया।
सर्वप्रथम डॉक्टर साहब के तैल चित्र पर उपस्थित जन सामान्य द्वारा श्रद्धा पुष्प अर्पित किए गए, तदुपरांत उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विधिवत चर्चा की गई।बचपन से ही डॉक्टर साहब के साथ रहे अजीत कुमार ने कहा कि मैंने अपने जीवन में डॉक्टर साहब जैसा सहृदय और परोपकारी व्यक्ति नहीं देखा। यदि वे मुझे अपना आश्रय नहीं दिये होते तो न जाने मेरा अस्तित्व क्या होता?
समकालीन जवाबदेही के संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि डॉक्टर साहब अत्यंत ही परिश्रमी, लगनशील और उत्साही व्यक्ति थे जो अपने व्यस्ततम समय सारणी से भी साहित्य और समाज के लिए समय निकाल लिया करते थे। वे जितनी तल्लीनता से रोगियों की देखभाल करते थे उतना ही समर्पण के साथ साहित्य और समाज के लिए भी तत्पर रहा करते थे। ज्योतिर्विद शिव नारायण सिंह ने कहा कि मैंने तो डॉक्टर साहब को अपने अभिभावक, मित्र एवं सहायक के रूप में देखा है। मैं जब भी संकटग्रस्त होता तो उनका वरदहस्त अपने मस्तक पर पाता था।
डॉक्टर साहब के सुपुत्र डॉ ऋत्विक ने कहा कि संतानों के लिए पिता वटवृक्ष की तरह होते हैं जो अपनी संतान की हर एक इच्छा की पूर्ति करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। पिता का महत्व सचमुच उसे ही समझ में आ सकता है जिसके ऊपर से उनकी छाया सदा-सदा के लिए समाप्त हो गई हो।
इस कार्यक्रम में शिक्षा एवं साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए प्रेमेंद्र मिश्र, धनंजय जयपुरी तथा नवोदित साहित्यकार हिमांशु चक्रपाणि को क्रमश: कौशलेंद्र प्रताप सिंह,प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह तथा डॉक्टर साहब की सहधर्मिणी नीला सिंह द्वारा पुष्पगुच्छ एवं प्रशस्ति पत्र देकर नागरिक अभिनंदन किया गया।
इस कार्यक्रम मे सर्वश्री भैरवनाथ पाठक, डॉ महेंद्र पांडेय, डॉ शिवपूजन सिंह, डॉ रामाधार सिंह, प्रो संजीव रंजन, रेडक्रॉस के अध्यक्ष सतीश कुमार सिंह, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ विजय कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह, सुरेश विद्यार्थी, अभिषेक प्रताप सिंह,मो इरफान, मुरलीधर पाण्डेय सहित दर्जनों बुद्धिजीवी शामिल रहे।