
औरंगाबाद।बुधवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में गुरु गोविंद सिंह की जयंती मनायी गयी। कार्यक्रम की संयुक्त अध्यक्षता जिला विधिक प्रमुख अधिवक्ता अंजनी कुमार सिंह उर्फ सरोज सिंह और जिलाध्यक्ष प्रभुदयाल ने किया। जबकि कार्यक्रम का संचालन जिला मंत्री राजीव सिंह ने किया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्वान अधिवक्ता भावी अध्यक्ष पद के चुनाव उम्मीदवार अधिवक्ता परशुराम सिंह ने गुरु गोविंद सिंह की एक पंक्ति
“चिड़ियों से मैं बाज तड़ाऊं , गीदड़ो को मैं शेर बनाऊं।
सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोविंद सिंह नाम कहलाऊँ।।
को याद करते हुए कहा ऐसे सुरवीर राष्ट्रवादी एवं धर्म रक्षक को आज याद करने का दीन है। वैसे तो इन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है। गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु है। वह एक महान शूरवीर है।
वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रदेश महामंत्री, सिविल कोर्ट अधिवक्ता विरेंद्र कुमार ने कहा गुरु गोविंद सिंह मुगलों के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाए थे और सत श्री अकाल का नारा दिए थे ।
गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 पटना में हुई थी। बिहार की धरती इनके जन्म से धन्य हो गई है ।जब भी दुनिया में इतिहास की चर्चा होगी तभी गुरु गोविंद सिंह का नाम जरूर आएगा।जब भी इस देश में मुगलों के विरुद्ध राष्ट्र और धर्म के लिए लड़ाई लड़ने की चर्चा होगी तो गुरु गोविंद सिंह जी का नाम जरूर याद किया जाएगा। इतना ही नहीं दुनिया में बलिदानी के लिए राष्ट्र और धर्म के लिए इतिहास को जब भी याद किया जाएगा तब भी गुरु गोविंद सिंह का नाम पहले लिया जाएगा।
गुरु गोविंद सिंह ने न केवल खुद को बलिदान दिए बल्कि अपनी आंखों के सामने अपने सभी बच्चे को राष्ट्र और धर्म के लिए बलदान कर दिए। पुनः राष्ट्र को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए गुरु गोविंद सिंह के कर्म चिन्ह और पद चिन्हों पर चलने की जरूरत है। उनके कर्मों और बलिदान को याद रखने की जरूरत है। इस अवसर पर सिविल कोर्ट के विद्वान अधिवक्ता नागेंद्र सिंह, रणधीर कुमार सिंह, संतोष सिंह, राणा सरोज सिंह, अनिल कुमार सिंह के साथ दर्जनों अधिवक्ता सम्मलित रहे।