
औरंगाबाद। जिले में अधिकारियों के द्वारा घूस लेने का प्रचलन थमा नहीं है यही कारण है कि लगातार निगरानी विभाग की टीम के द्वारा यहां दस्तक दिए जाते रहे हैं और अधिकारियों को घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा गया है। सोमवार को भी निगरानी विभाग की टीम ने क्षेत्रीय अभिकरण संगठन कार्य प्रमंडल औरंगाबाद के सहायक अभियंता सीताराम सहनी को अपने ही कार्यालय के कनीय अभियंता से 40 हजार रुपया घूस लेते पकड़ा है और पटना ले जाने की कवायद में जुटी हुई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्य प्रमंडल बक्सर में पदस्थापित रोहतास जिले के अकोढ़ी गोला निवासी विनय कुमार के द्वारा निगरानी विभाग को एक आवेदन देकर यह जानकारी दी गई थी कि वह औरंगाबाद में पदस्थापित थे लेकिन स्थानांतरण हो जाने के कारण उनका वहां से स्थानांतरण कार्य प्रमंडल बक्सर में हो गया। जहां 4 जुलाई को उन्होंने पदभार ग्रहण कर अपना कार्य शुरू कर दिया।
श्री कुमार ने बताया कि औरंगाबाद में पदस्थापन के दौरान कार्यालय से कार्य लौटने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण वह इलाज में थे लेकिन जब इलाज से उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ तो 2 फरवरी 2022 को कार्यालय में योगदान देकर दायित्वों का निर्वहन सर समय करने लगा।लेकिन दिनांक 3.8.2021से जून 2022 तक का वेतन सहायक अभियंता सीताराम साहनी के अनुपस्थिति विवरण नहीं देने के कारण उनका वेतन भुगतान रुका हुआ था। इस कारण उनके द्वारा 15 जुलाई को कार्यपालक अभियंता को आवेदन दिया गया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही उस पर नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि अनुपस्थिति विवरण के संबंध में पूर्व में कई बार सहायक अभियंता से मिला। उसके बावजूद भी उनके द्वारा अनुपस्थिति विवरण नहीं भेजा जा रहा था। जब 15 अगस्त को सहायक अभियंता श्री साहनी से मिला तो बोले कि अनुपस्थिति विवरण भेज दिया जाएगा उसके एवज में 50 हजार रुपया देना होगा। ऐसे में जब उन से अनुरोध किया गया कि कई माह से वेतन रुका हुआ है तो ऐसी परिस्थिति में इतना पैसा कहां से लाऊंगा। लेकिन उसके बाद भी उन्होंने कहा कि बिना रुपया के अनुपस्थिति विवरण लटका रहेगा और आप दौड़ते रहिएगा।
श्री कुमार के द्वारा प्राप्त आवेदन के आलोक में निगरानी विभाग के पुलिस उपाधीक्षक सह अनुसंधानकर्ता सह धावा दल प्रभारी अरुण पासवान के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई जिसमें पुलिस निरीक्षक गौतम ऋषि, मिथिलेश कुमार जायसवाल, एसआई धर्मवीर सिंह गणेश कुमार एस आई ऋषि कुमार तथा सिपाही मणिकांत सिंह एवं शशिकांत सिंह के साथ मिलकर सहायक अभियंता को ट्रैक किया गया और 40 हजार रुपए घूस लेते रंगे हाथ पकड़ लिया गया।