विविध

संतानो के लंबी आयु व स्वस्थ्य जीवन के लिए माताओं ने की जीवित्पुत्रिका व्रत, जीमूतवाहन के साथ अन्य मंदिरों में की पूजा अर्चना

ग्रामीण क्षेत्रों में गूंजता रहा पारम्परिक गीत, देर रात तक हुई चउहट व झूमर

औरंगाबाद, कपिल कुमार

रविवार को सभी जगहों पर माताओं ने अपनी संतानों को लंबी आयु एवं स्वस्थ जीवन की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत की। यह व्रत शनिवार को ही नहाए खाए के साथ प्रारंभ हो चुका था। रविवार को माताओं ने उपवास (निर्जला व्रत) रहकर शाम में जीमूतवाहन मंदिर समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों में पूजा अर्चना की। इस दौरान विद्वानों द्वारा जीवित्पुत्रिका व्रत कथा भी सुनी। ग्रामीण क्षेत्रों में जिउतिया के नाम से यह पर्व प्रसिद्ध है। इसे पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। सभी माताओं ने वटवृक्ष, पीपल, पाकड़ के दाढ़, खीरा, मडुआ का आटा, फल, फूल, अनरसा, परकीया पकवान समेत कई अन्य पूजा-पाठ की सामग्री को थाल में सजाकर अपने अपने पुत्र पुत्रियों का नाम लेकर गीत गाते हैं और उन्हें आंखों में काजल लगाकर आरती उतारते हैं। इसके बाद सोने चांदी एवं अन्य धातुओं से बनाए गए जितिया गले में पहनते हैं वह अपने संतानों को पहनाकर लंबी आयु की कामना करते हैं। जितिया का व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत में कथा पढ़ने से जीत जीमूतवाहन का विशेष आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जितिया व्रत का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार जब युद्ध में अश्वत्थामा के पिता की मृत्यु हो गई तो वह बहुत क्रोधित हो गया। पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए वह पांडवों के शिविर गया और उसने वहां जाकर 5 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी। उसे लगा कि वह 5 लोग पांडव थे। लेकिन उसकी इस गलतफहमी की वजह से पांडव जिंदा बच गए। जब पांडव अश्वत्थामा के सामने आए तो उसे पता चला कि उसने पांडवों की जगह द्रोपदी के पांच पुत्रों की हत्या कर दी है। अर्जुन को जब इस बात का पता चला तो वह बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उससे दिव्य मणि छीन ली
इस बात का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्‍तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने की योजना बनाई। उसने गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, जिसकी वजह से उत्‍तरा का गर्भ नष्ट हो गया। लेकिन उस बच्चे का जन्म लेना आवश्यक था इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने उत्‍तरा के मरे हुए संतान को गर्भ में फिर से जीवित कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इसे भी पढ़ें

Back to top button

You cannot copy content of this page