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साहित्यकार व पूर्व सांसद शंकर दयाल सिंह की धूमधाम से मानयी गयी जयंती, राजनीति पर भारी पड़ता था साहित्य, साहित्य में ही झोंक दिया था अपना जीवन: वक्ता

इंसान का इंसानियत नहीं रहने पर ही चलता है पता, एक सच्चे इंसान थे शंकर दयाल बाबू

औरंगाबाद, कपिल कुमार

देश के महान साहित्यकार और चतरा से रह चुके सांसद शंकर दयाल सिंह की जयंती समारोह मंगलवार को औरंगाबाद शहर के एक होटल में भव्य कार्यक्रम आयोजित कर मनाई गई। इस मौके पर सदर विधायक आनंद शंकर सिंह, एसडीओ श्री विजयंत, छोटका बाबू राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह, वरीय नेता इंजीनियर सुबोध सिंह, जनेश्वर विकास केंद्र के केंद्रीय सचिव सिधेश्वर विद्यार्थी, कविता विद्यार्थी परमेंद्र मिश्र, धीरेंद्र मिश्र, प्रोफेसर शिवपूजन सिंह, प्रोफ़ेसर सूर्यपत सिंह, सुरेंद्र मिश्र ज्योतिषाचार्य शिव नारायण सिंह, प्रोफेसर डॉ रामाधार सिंह, अध्यक्ष रामजी सिंह, संजीव रंजन कुमार वीरेंद्र, सरपंच रविंद्र कुमार सिंह, रामचंद्र सिंह, डॉ हेरम्ब मिश्र, अशोक पांडेय, वरुण सिंह, साहित्यकार लेखक प्रभात बान्धुलय समर्थ अन्य साहित्यकारों व समाजसेवियों ने सबसे पहले शंकर दयाल सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि शंकर दयाल सिंह एक सच्चे इंसान थे। आज उनकी कमी काफी खलती है। इंसान का पता तभी चलता है जब वे नहीं रहते हैं। राजनीति के क्षेत्र में रहते हुए भी इन्होंने साहित्य क्षेत्र में जाना बेहद पसंद किया, और कभी-कभी साहित्य इनके राजनीति पर भारी पड़ता था। इसलिए इन्होंने साहित्य बनकर देश में अपना नाम रोशन किया। आज पूरे देश में इनका नाम साहित्य के क्षेत्र में जाना जाता है। वक्ताओं ने कहा कि शंकर दयाल बाबू का जन्म देव प्रखंड के भवानीपुर में 27 दिसंबर को हुआ था। बचपन से ही है वे काफी मेहनती, प्रबुद्ध व चमकती चेहरों के सितारे थे। जब किसी कार्य को इन्होंने ठानते थे तो हर कण-कण में इनकी बुद्धिमानता नजर आती थी। जनेश्वर विकास केंद्र के केंद्रीय सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि शंकरदयाल सिंह की जीवन यात्रा पगडंडियों से राजमार्ग पर चलता था। आज शंकर दयाल सिंह की बताए हुए मार्गों पर चलने की जरूरत है। उन्होंने साहित्य क्षेत्र के अलावा राजनीतिक क्षेत्रों में भी अपना जीवन का अहम समय दिया था। इसके कारण इनका नाम आज पूरे देश दुनिया में है।

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