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दो हजार खाना तभी बनेगा पखाना, आये दिन शॉर्ट फिल्म फिक्स्ड रेट कर रहा ट्रेंड, जिले के उभरते हुए सितारे फ़िल्म राइटर प्रभात बांधूल्य का सरकारी योजना में मची लूट पर फिल्माया गया शार्ट फ़िल्म फिक्स्ड रेट देखने लायक , कर रहा है ट्रेंड

साधारण परिवार की एक दम्पति कल्टू और मैना शौचालय बनवाने के लिए दर दर की ठोकरे खाते नजर आएंगे इस फ़िल्म में, मुखिया से लेकर तमाम जनप्रतिनिधि जब तक योजना में नही खाते पैसे तबतक आगे नहीं बढ़ाते फ़ाइल

दो हजार खाना तभी बनेगा पखाना, आये दिन शॉर्ट फिल्म फिक्स्ड रेट कर रहा ट्रेंड

जिले के उभरते हुए सितारे फ़िल्म राइटर प्रभात बांधूल्य का सरकारी योजना में मची लूट पर फिल्माया गया शार्ट फ़िल्म फिक्स्ड रेट देखने लायक , कर रहा है ट्रेंड

साधारण परिवार की एक दम्पति कल्टू और मैना शौचालय बनवाने के लिए दर दर की ठोकरे खाते नजर आएंगे इस फ़िल्म में

मुखिया से लेकर तमाम जनप्रतिनिधि जब तक योजना में नही खाते पैसे तबतक आगे नहीं बढ़ाते फ़ाइल

औरंगाबाद, कपिल कुमार

औरंगाबाद जिले के एक्टर व लेखक प्रभात बांधूल्य की शार्ट फ़िल्म फिक्स्ड रेट खूब ट्रेंड कर रही है । कल्टू और मैना देवी की प्रेम कहानी के बीच सरकारी योजनाओं में हो रही कमीशनखोरी को दर्शाया गया है। इसमें कल्टू की भूमिका में प्रभात बांधूल्य और मैना का किरदार प्रगति ने निभाया है।

फिल्म के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि एक गरीब घर का व्यक्ति किस तरह सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खाता है। उसके बावजूद भी जनप्रतिनिधि बिना घूस लिए फाइल को आगे नहीं बढ़ाते हैं। चाहे उस व्यक्ति के घर मे खाने के लिए एक वक्त की रोटी हो या नहीं लेकिन कमीशन का पैसा पहुँचाना जरूरी । यह फिक्स्ड है कि जब तक आप सरकारी योजना के लिए कमीशन (घुस का रुपये) नहीं देंगे जब तक आपको योजना का लाभ नही मिलेगा। इस शॉर्ट फिल्म (फिक्स्ड रेट) के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि सरकारी योजनाओं में कितनी लूट मची हुई है। लूट का भेंट कैसे एक गरीब घर के लोगों चढ़ते है।
एक बातचीत के दौरान फिल्म राइटर प्रभात बांधूल्य ने बताया कि फिल्म बनाने का उद्देश्य गांव के गरीब लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है ताकि लोग सरकारी योजना का सीधा लाभ उठा सकें , बिचौलियों से बचें।
उन्होंने बताया कि यह शॉर्ट फिल्म बनाने का विचार तब आया जब अपने गांव व आस पड़ोस में देखा कि
इस सांझ तो चूल्हा जला पर अगले सांझ क्या होगा इसका पता नहीं ऐसे परिवार को भी , इधर – उधर से इंतजाम कर कमीशन के पैसे बिचौलियों तक पहुँचाने पढ़ते हैं ।
फ़िल्म में मैना देवी यह सवाल करती हुई नजर आती है , की जब यह सरकारी योजना है तो पैसा काहे देना तो फ़िल्म का किरदार कल्टू ( मैना देवी का पति) यह समझाता है इसको कमीशन कहते हैं और यह देना जरूरी है तब ही काम हो पाएगा।
” दो हजार खाना ( घुस)
तब बनेगा पैखाना ”

फ़िल्म में दिखाया गया है सरकार योजना तो बनाती है पर सही तरीके से धरातल पर , अंतिम व्यक्ति तक यह योजना नहीं पहुँच पाती।

प्रभात औरंगाबाद जिला अंतर्गत बारुण प्रखंड के सोनबरसा गांव के रहने वाले हैं । काशी हिंदू विवि से लॉ ग्रेजुएट प्रभात ” बनारस वाला इश्क़ ” किताब लिख कर चर्चा में आये थे और साहित्यिक गलियारों में कदम रखा था । प्रभात समसामयिक गतिविधियों पर लगातार शार्ट फ़िल्म बनाते रहते हैं ।
यह फ़िल्म फिक्स्ड रेट देखने लायक है इसमें पति – पत्नी के प्रेम संबंध के बीच समाज की कुरीतियों को स्थापित किया गया है।

इस लिंक के माध्यम से देख सकते हैं फ़िल्म

https://youtu.be/_Bkq9WcPSGU

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