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औरंगाबाद का पहला ट्रेन वाला स्कूल,बच्चे पढ़ाई के साथ खूब करते हैं मजे

औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के नरकपी स्थित राजकीय मध्य विद्यालय में जमकर पढ़ते हैं बच्चे और खूब मस्ती करते हैं। क्योंकि अब उन्हें विद्यालय में आने पर तनाव नहीं बल्कि खुशियां मिलती है।ऐसा इसलिए कि विद्यालय अब ट्रेन का शक्ल ले चुकी है और यही कारण है कि यहां बच्चे समय से पूर्व विद्यालय में पढ़ाई का मजा लेते नजर आते है।

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*जिले के एक ऐसा विद्यालय जहां ट्रेन की बोगी में पढ़ते हैं बच्चे,पढ़ाई के साथ खूब करते हैं मस्ती,ग्रामीण लेते है सेल्फी*

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चौथी कक्षा की छात्रा अंशिका एवं संजना ने बताया कि उनलोगों ने अभी तक तीन नही देखा था।लेकिन विद्यालय में ट्रेन बन जाने से काफी अच्छा लगा और अब पढ़ाई में भी मन लगता है।वही शिक्षकों द्वारा बताया गया कि बैगलेस शनिवार को बच्चो के बीच ट्रेन से संबंधित विभिन्न जानकारी बच्चों को दी जाती है।

 

विद्यालय के प्रधानाध्यापक लाममोहन सिंह,बिरेंद्र सिंह एवं अमरेश कुमार ने विद्यालय को ट्रेन की शक्ल देने में अहम भूमिका निभाई।उन्होंने बताया कि आबंटित राशि के अनुसार सिर्फ सामान्य तरीके से विद्यालय का रंग रोगन किया जा सकता था।लेकिन मन में कुछ अलग हटकर करने की इच्छा थी।यह इच्छा इसलिए थी कि बच्चे ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो और विद्यालय में समय दें ताकि उनकी प्रतिभा को तराशा जा सके।बस इसी सोच के तहत सभी जुड़े और इसमें खुद स्वेच्छा से निशुल्क मजदूरी की और ट्रेन का आकार दिया।स्थिति यह हो गई है कि शाम को ग्रामीण युवा यहां आकर सेल्फी लेते है और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं।

गौरतलब है कि राज्य सरकार शिक्षा में गुणात्मक वृद्धि को लेकर कई नीतियां बनाती है और उसे धरातल पर उतारने का प्रयास करती है।मगर हा संसाधन उपलब्ध करने के बाद भी बिहार के अधिकांश विद्यालय क्रियान्वयन में फिसड्डी साबित हो रहे हैं।

लेकिन औरंगाबाद जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र मदनपुर का नरकपी गांव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय सरकार की सोच से आगे बढ़कर काम कर रहा है और अपने कार्यों की वजह से सुर्खिया बटोर रहा है।सरकार के द्वारा विद्यालय के रंग रोगन के लिए राशियां भेजी गई ताकि विद्यालय के कक्षाओं का आकर्षक पेंटिंग कर शिक्षक बच्चो को पढ़ाई के प्रति आकर्षित हो सकें।

 

सरकार की सोच से आगे बढ़कर शिक्षकों ने पूरे विद्यालय को ट्रेन का शक्ल दे दिया और उसका नाम शिक्षा एक्सप्रेस रखा।अब स्थिति यह हो गई कि बच्चे विद्यालय तो आते है लेकिन जाने का नाम नहीं लेते।इस प्रकार विद्यालय को ट्रेन का शक्ल देने वाला यह विद्यालय जिले का पहला विद्यालय बन गया।

 

मालूम हो कि पूर्व में इस विद्यालय के शिक्षकों ने ड्रेस कोड लागू कर न सिर्फ सुर्खिया बटोरी बल्कि बिहार में ड्रेस कोड लागू करने में पहला विद्यालय बन गया।इतना ही नहीं यहां कि खेल खेल में पढ़ाने के तरीके ने भी राज्य में चर्चित हुई।

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