
राकेश कुमार(लेखक लोकराज के लोकनायक)
विशेष। कल सायं आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान-2023 में केरल के राज्यपाल महामहिम श्री आरिफ मोहम्मद खान ने एक प्रसंग उद्दृत किया, जो काफी शिक्षाप्रद और कर्मफल के सिद्धांत का प्रतिबिंब है-
अपने सभी सौ पुत्रों के वध के बाद गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण से विलाप करते हुए पूछा,”हे केशव! आपने ये क्या किया? मेरे सौ के सौ पुत्र मरवा दिये आपने कुरुक्षेत्र में. कम से कम एक पुत्र को बचा लिया होता, जो बुढ़ापे में हम अंधे दंपतियों की सेवा-सुश्रूषा-देखभाल करता?”
श्रीकृष्ण ने प्रत्युत्तर दिया,”हे हस्तिनापुर की महारानी, मैं कौन होता हूँ किसी को मरवाने वाला? इस धरती पर सभी जीवों को अपने कर्मों का फल भुगत कर ही जाना पड़ता है.”
गांधारी,”मैंने तो अपने अबतक के जीवन काल में जाने-अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया है,केशव.”
केशव,”जब आपने पूछ लिया तो सुनो………
जहाँ तक मैं देख रहा हूँ. आपने अपने किशोर काल में कीटों से तंग आकर उसके बिल में गर्म पानी डालकर बिल को बंद कर दिया था. पता है, आपके इस कृत्य से कीटों के सौ अंडे नष्ट हो गये जो कुछ ही दिनों में जीवोत्पत्ति करते. इन्हीं पापों का प्रतिफल आपको प्राप्त हुआ है,गांधारी.”
श्रीकृष्ण ने आगे कहा, “देव-दानव-मनुष्य सभी को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है क्योंकि पुनर्जन्म कर्मों का ही प्रतिफल होता है.”
आचार्य कृपालानी स्मृति व्याख्यान-2023 में मुझे भी आमंत्रण प्राप्त था. इस दौरान केरल के महामहिम आरिफ मोहम्मद खान जी और श्री रामबहादुर राय जी के साथ जलपान का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मैंने महामहिम को अपनी पुस्तक #लोकराज_के_लोकनायक भेंट की. इस दौरान खान साहेब ने जेपी आंदोलन से जुड़ाव की बातें भी साझा की. आरिफ साहेब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र प्रतिनिधि के रूप में जेपी आंदोलन हेतु गठित समन्वय समित्ति में शामिल किये गये थे जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों का प्रतिनिधित्व समन्वय समित्ति में स्व. अरुण जेटली साहेब ने किया था.