
औरंगाबाद (कपिल कुमार)
औरंगाबाद जिले के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद प्रख्यात साहित्यकार अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक शिव नारायण सिंह रचित व्यावहारिक ज्योतिष पुस्तक आमजन के लिए सर्व सुलभ आचार विचार एवं व्यवहार को समर्पित ज्योतिषीय पुस्तक है। इस पुस्तक की समीक्षा करते हुए सामयिक साहित्य संवाद के प्रांतीय संयोजक सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि व्यवहारिक ज्योतिष में जीवन के संपूर्ण परिवेश को इंगित करते हुए मानव के समस्त समस्याओं का समाधान करता हुआ प्रतीत होता है। इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है कि यदि भविष्य में कोई घटना घटने वाली है तो उसका आगाह व्यावहारिक ज्योतिष जैसे पुस्तक के माध्यम से यदि मिल जाती है तो ऐसा होने पर हम उन घटनाओं को टाल सकते हैं उनको टालने के संबंध में तैयारियां कर सकते हैं। उनके दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं।यदि कोई व्यक्ति व्यावहारिक ज्योतिष के माध्यम से परीक्षा में सफलता अथवा नौकरी में पदोन्नति की कामना से इसके फलाफल पर ध्यानाकर्षण कराता है तो ऐसी परिस्थिति में व्यवहारिक ज्योतिष से हमें तभी मदद मिल सकती जब व्यक्ति कर्मठी हो कर्मशील हो आलस से रहित हो मेहनत के वशीभूत हो।इस पुस्तक के अवलोकन से यह पता चलता है कि हमें व्यवहार के साथ-साथ आचार विचार को भी उत्कर्ष पर रखना होगा तभी हम जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल हो सकते हैं। इस पुस्तक में ज्योतिष का मूलाधार पंचांग के माध्यम से जन्म कुंडली एवं कुंडली के लग्न विचार पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए उसके मूलभूत तथ्यों को बताया गया है। कालसर्प योग के तथ्यों को स्पष्ट विचार से प्रेरित किया गया है तो वही कर्ज योग कारण निवारण की भी चर्चा की गई है।भगवान शंकर के नेत्र का जल बिंदु रुद्राक्ष अति महत्वपूर्ण है। तो नक्षत्र के वृक्ष के माध्यम से उपचार भी बताए गए हैं। संपूर्ण मानव जाति के ग्रह शांति के उपाय भी हैं तो शनि की साढ़ेसाती पर सम्यक प्रकाश डाला गया है । मारकेश के कारण निवारण का ज्योतिषीय उपाय बताया गया है तो कन्या विवाह विलंब के कारण उपाय की भी चर्चा की गई है।वर्तमान परिवेश में अंक ज्योतिष अत्यंत ही कारगर है तो रोग निवारण में ज्योतिष कितना कारगर है इसकी भी व्याख्या की गई है इस पुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण शारीरिक लक्षणों के माध्यम से अंगों पर जो संकल्पना दी गई हैं इस पुस्तक की महत्ता को बढ़ा देती है।