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शहर के महाराजगंज रोड स्थित एचडीएफसी बैंक में 2 महिलाओं से बैंक के एक अधिकारी ने कर ली दस लाख रुपये की धोखाघड़ी,महिलाओं ने किया हंगामा

कई खातों से भी हुई है अवैध निकासी,संदेह के घेरे में कई बैंककर्मी

जांच हुए तो होंगे कई खुलासे और इस धोखाघड़ी में शामिल लोगों के नाम आएंगे सामने

औरंगाबाद।आम तौर पर लोगों के जेहन में किसी भी बैंक के बारे में यह धारणा बनी रहती है कि वहां उनके रुपये सुरक्षित रहेंगे।लेकिन जब बैंक के अधिकारियों के नियत में ही खोट आ जाए तो यह विश्वास तार तार हो जाता है।ऐसा ही एक मामला शहर के महाराजगंज रोड स्थित एचडीएफसी बैंक का है जहां म्युचुअल फंड में ट्रांसफर के नाम पर बहला फुसलाकर दो महिलाओं के चेक पर दस्तखत कराकर निकाल लिए गए और दोनों महिलाएं पिछले आठ महीने से अपने पैसे की मांग को लेकर बैंक में भटक रही है और उनके पैसे मिलने के कोई आसार नजर नही आ रहे हैं।अपने पैसे की मांग को लेकर दोनों महिलाओं की हिम्मत जब जवाब दे गई तो उन्होंने बुधवार को बैंक में जमकर हंगामा किया और इसकी सूचना मीडिया को दी।जब emaatimes की टीम बैंक पहुंची तब इस बात का खुलासा हुआ कि बैंक के असिस्टेंट मैनेजर रहे कुंतल तालपात्रा एवं अन्य कर्मियों का एक रैकेट वहां चल रहा है जिनके द्वारा भोले भाले ग्रामीणों के खाते से उन्हें झांसा देकर लगभग 98 लाख रुपये की निकासी कर ली गई है।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार सदर प्रखंड की कनबेहरी गांव की मंजू देवी एवं शोभा कुंवर ने अपनी बेटियों की शादी के लिए खेत बेचकर बैंक में रुपये जमा किये थे और किसी आवश्यक कार्य से दोनों बैंक से रुपये की निकासी के लिए 2 मार्च 2021 को बैंक पहुंची।मंजू देवी ने 6 लाख तथा शोभा कुंवर ने 4 लाख की जरूरत थी।बैंक में बुधवार को हंगामा कर रही दोनों महिलाओं ने जानकारी दी कि जब वे चेक लेकर बैंक पहुंची तो असिस्टेंट मैनेजर कुंतल तालपात्रा ने उन्हें जहां बैंक से सम्बंधित एक कर्मी फैज बैठे हुए थे वहां ले गए और पैसे को म्युचुअल फंड के फायदे बताकर पैसे को जमा करने की बात कही और उनके द्वारा चेक को भरकर हम दोनों से सिग्नेचर करवा लिए गए और पैसे की निकासी कर ली गयी।

 

पैसे की निकासी के मैसेज तो मोबाइल में प्राप्त हो गए लेकिन म्युचुअल फंड में दस लाख रुपये जमा राशि से सम्बंधित कोई कागजात नही प्राप्त हुए।ऐसी स्थिति में महिलाओं की चिंता बढ़ी तो वे बैंक पहुंची और अपने पैसे के म्युचुअल फंड में जमा कराने से सम्बंधित कागजातों की मांग की।लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।महिलाओं ने इसकी सूचना अपने परिजनों को दी।तब जाकर इस बात का खुलासा हुआ कि बैंक के असिस्टेंट मैनेजर तालपात्रा एवं अन्य बैंक के कर्मियों द्वारा सिर्फ इन्ही से नही लगभग तीस ऐसे खाताधारी है।जिनके खाते से 50-50 हजार रुपये की निकासी कर ली गई और वह भी कोरोना काल मे जब बैंक से पचास हजार से अधिक निकासी पर कई प्रकार के जांच शुरू हो जाते थे।महिलाओं ने बताया कि पिछले आठ महीने से वे लोग बैंक की दौड़ रही हैं लेकिन उनके पैसे अभी तक उनके खाते में नही आए।हालांकि महिलाओं के मामले को बढ़ता देख बैंक ने असिस्टेंट मैनेजर को निलंबित तो कर दिया लेकिन धोखाघड़ी से सम्बंधित कोई प्राथमिकी नही की।

 

इधर महिलाओं के साथ हुई धोखाघड़ी के मामले को देख रहे व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता राणा रंग बहादुर सिंह ने बताया कि उनके पास अभी तक छह ऐसे मामले आ चुके है जिसमे एक लाख से लेकर बारह लाख रुपये तक की निकासी ग्राहकों को धोखा देकर कर ली गई है।अधिवक्ता ने बताया कि मामला 5 नवम्बर 2020 से ही चला आ रहा है।जहाँ बैंक मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर की मिलीभगत से यह अवैध कार्य बैंक में किया जा रहा है।जब ग्राहकों के द्वारा पैसे के लिए दबाव बनाया गया तो निलंबित हो चुके असिस्टेंट मैनेजर द्वारा कई चेक अपनी पत्नी एवं मां के नाम वाले एकाउंट से पैसे निकासी के लिए दिए गए लेकिन सभी चेक बाउंस कर गए।उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को फुसलाकर पैसे की निकासी में बैंक कर्मियों की संलिप्तता उजागर हो रही है और इसको लेकर वे मैनेजर एवं असिस्टेंट मैनेजर को अभियुक्त बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने जा रहे हैं।

 

इधर जब इस मामले की जानकारी लेने के लिए तालपत्रा के मोबाइल पर कॉल किया गया तो उन्होंने पैसे जमा करने की बात कही लेकिन यह भी बताया कि ऐसे कई एकाउंट से राशियों की निकासी हुई है और वह इसमें अकेले नही बल्कि पांच लोग शामिल है। इस संबंध में जब सीनियर मैनेजर विनय साह से बात की गई तो उन्होंने छुट्टी पर रहने की बात कही और कहा कि वह प्रेस को बयान देने के लिए अधिकृत नही है लेकिन इस मामले में विभाग ने कार्रवाई करते हुए तालपत्रा को बैंक से निकाल दिया है।लेकिन सवाल यह उठता है कि जब विभाग ने तालपात्रा पर कार्रवाई की तो उन पर धोखाघड़ी की प्राथमिकी क्यों नही दर्ज की ताकि इस धोखाघड़ी से कितने ग्राहक प्रभावित है उसका खुलासा हो सके और जब बैंक परिसर में ही ऐसे अवैध तरीके से कार्य हुए तो ग्राहकों की राशि की वापसी के लिए बैंक के अधिकारियों ने क्या कार्रवाई की।ऐसे में बैंक के कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है।फिलहाल मामला अधर में है लेकिन यदि अधिवक्ता राणा रंग बहादुर द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है तब पूरा मामला सामने आएगा और भोले भाले लोगों से ठगी करने वाले बैंककर्मी जेल की सलाखों के पीछे कैद होंगे।

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