
राजेश मिश्रा
औरंगाबाद। दशहरे का पर्व हो और नीलकंठ पंछी का जिक्र ना हो, पर्यावरण के शोरगुल में कई प्रकार के पंछी विलुप्त होते जा रहे हैं। पंछी नीलकंठ की बात हो या गौरैया की दिन प्रतिदिन तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं।
ऐसी मान्यता है कि नीलकंड पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है। पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे। तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन से व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।
90 के दशक में जहां बाग बगीचों पक्षियों की आवाज से गुलजार रहता था। आज ना जाने सब कहां चले गए सरकार के द्वारा पंछियों के संरक्षण के नाम पर रुपए भी खर्च किए जाते हैं। लेकिन नतीजा सिफर ही होता है।