
राकेश कुमार(लेखक – लोकराज के लोकनायक)
औरंगाबाद। सोशल मीडिया की एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा क्योंकि अभी कुछेक महीने पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी #AMU का भ्रमण किया था क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि शिक्षा केन्द्रों का भ्रमण भी तीर्थ की तरह है. उस दौरान भी परिसर व परिसर के बाहर अपराध की खबरें और आये दिन वारदातों यानी तोप-तमंचा की चर्चा वहीं के प्रोफेसर/प्राध्यपकों से ही सुनी थी.
जब मैं मेडिकल पुलिस चौकी प्रभारी के साथ परिसर में प्रवेश कर प्रोक्टर ऑफिस की ओर परिसर परिभ्रमण हेतु अनुमति के लिए प्रस्थान कर ही रहा था कि स्टुडेंट्स यूनियन के तालाबंद ऑफिस के पास प्रो साहेब (नाम उजागर करना उचित नहीं समझता हूँ)से पहली मुलाकात हुई. चौकी इंचार्ज को देखते ही उन्होंने अपने उपर हुए जुल्म व तोप-तमंचे से भयादोहन की कहानी साझा की.
उनमें भय इतना था कि जिसने उनका भयादोहन किया उसको पहचानने के बावजूद भी उसका नाम व उसके बारे में चौकी प्रभारी को बताने से बच निकले और उस कांड का त्वरित खुलासा कर सुरक्षा की माँग कर गये. पहले भी कई दफ़ा तोप-तमंचे के बल पर कैंपस के क्रिमिनल ने उनका भयादोहन किया था और तब रक्षार्थ उनकी मदद के लिए उ.प्र. कैडर के वरीय भापुसे के उनके मित्र का साथ मिल चुका है, ऐसे कई वाक़या उन्होंने साझा किया.
पूरे परिसर के परिभ्रमण और इनसाइड क्राइम पर वहाँ के प्राधिकारियों और बच्चों से बातचीत पर मुझे जो क्राइम के कई कारण समझ आये.कैंपस स्थित छात्रावास में शिक्षा पूरी कर चुके छात्रों का कब्जा और मुफ्त में आवासन की सुविधा सुरक्षित व समुचित माहौल क्राइम के लिए उपलब्ध करवाता है. नये छात्रों ने बताया कि मासिक तकरीबन 1200 रुपये के खर्च पर आवासन व भोजन की बेहतरीन सुविधा उपलब्ध है.
कैंपस में प्रोटक्टर की अनुमति से उ.प्र. पुलिस का प्रवेश और कैंपस के अंदर पावरलेस यूनिवर्सिटी पुलिस की तैनाती और छात्रावास के छात्रों के जायज व नाजायज हितों का संरक्षण भी एक महत्वपूर्ण कारण है.प्रोटक्टर ऑफिस और उ.प्र पुलिस(अलीगढ़ पुलिस) के बीच क्राइम कांट्रोल पर विरोधी व विपरीत रवैया और सामंजस्य का अभाव भी एक अन्य महत्वपूर्ण कारण है.
कारण अन्य भी कई होंगे, परंतु जो मेरी समझ बनी वही साझा कर रहा हूँ. अन्य कारणों व समाधान पर आप स्वयं प्रकाश डाल सकते हैं.