विशेष

पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि डॉ राजेंद्र प्रसाद बने राष्ट्रपति

राकेश कुमार (लेखक लोकराज के लोकनायक के )

विशेष। पं जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के राष्ट्रपति बनें. बात नवंबर-दिसंबर, 1949 के दिनों की है। उस समय औरंजेब रोड़ (वर्तमान नाम ए.पी.जे कलाम मार्ग) के एक बंगले में सरदार पटेल रहा करते थे और उन दिनों उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था. औरंजेब रोड़ पर तब नेहरू जी रहा करते थे जबकि डॉ राजेन्द्र प्रसाद क्वींस मार्ग स्थित एक बंगले में रहा करते थे.

अपनी योजना के मुताबिक पं. जवाहर लाल नेहरू चुप-चाप राजेन्द्र बाबू के आवास पर पहुँच गये. उस वक्त राजेन्द्र बाबू चरखे पर सूत काट रहे थे. नेहरू जी ने दबाव डालकर राजेन्द्र प्रसाद से सादे कागज पर लिखवा लिया-“मैं राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूँ और न ही मैं कांग्रेस पार्टी की ओर से दावेदारी पेश करूंगा.”

इधर, राजेन्द्र प्रसाद से लिखवा गया. उधर, सरदार पटेल के सूत्रों ने सरदार को नेहरू जी की गुस्ताखियों की सूचना दे दी.
सरदार ने आनन-फानन में अपने आवास पर कांग्रेस के बड़े नेताओं की बैठक बुला ली और महावीर त्यागी जी को राजेन्द्र बाबू के आवास पर भेज दिया.

महावीर त्यागी जी ने राजेन्द्र प्रसाद को खूब खरी-खोंटी सुनाई. उन्होंने कहा,”तुम बिहारी होते बहुत सीधे हो. कोई तुम्हें उल्लू बना देता है. आपने पं नेहरू को क्यों लिखकर दे दिया कि मैं राष्ट्रपति नहीं बनना चाहता हूँ. क्या सचमुच आपकी इच्छा नहीं है?”
राजेन्द्र प्रसाद ने प्रत्युत्तर दिया, “नेहरू जी की इच्छा नहीं है कि मैं राष्ट्रपति बनूं. उन्होंने दबाव डाला तो मैंने लिख दिया.”

महावीर त्यागी ने कहा- आप मुझे कागज पर लिखकर हस्ताक्षर के साथ दीजिए कि अगर कांग्रेस पार्टी मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना चाहेगाी तो मैं चुनाव लडूंगा. राजेन्द्र प्रसाद ने हस्ताक्षर के साथ लिखकर दे दिया.

उधर, कांग्रेस के बड़े नेताओं का जमावड़ा सरदार के आवास पर लग चुका था. नेहरू जी के करीबी जी.बी.पंत को उन्हें सरदार के आवास पर बुलाकर लाने को भेजा गया. जवाहर लाल कांग्रेसियों के बीच उपस्थित हुए.

नेहरू जी ने स्पष्टीकरण में कहा कि सारे दूतावास चाहते हैं कि चक्रवर्ती राज गोपालाचारी राष्ट्रपति बनें.रामनाथ गोयनका उठे और बोल पड़े- नेहरू जी, कृपया यह बताने का कष्ट करेंगे कि राष्ट्रपति देश और कांग्रेस पार्टी के लिए बनाया जाना है या दूतावासों के लिए?निरुत्तर नेहरू जी ने कहा- देश के लिए.

….तो आप सुनिये. राजेन्द्र प्रसाद चुनाव लड़ने को तैयार हैं. ये देख लीजिए महावीर त्यागी के हाथ में राजेन्द्र बाबू का स्वीकृति पत्र. कांग्रेस पार्टी के तमाम लोगों की इच्छा है कि राजेन्द्र प्रसाद को राष्ट्रपति बनाया जाए.24 जनवरी, 1950 को डॉ राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति निर्वाचित किये गये.

नोट – (यह आलेख स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी जी के संस्मरण : “मेरी कौन सुनेगा? ” को पढ़कर लिखा गया)

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